कैंडलस्टिक पेटर्न को कैसे समझें और सीखें, How to understand candlestick pattern in hindi, कैंडल चार्ट कैसे पढ़ें, How to read cabdlestick chart in hindi
कैंडलस्टिक पेटर्न शेयर मार्केट में प्राइस मूवमेंट को एनालाइज करने के लिए उपयोग किए जाते हैं. इन पैटर्न को देखकर आप पता लगा सकते हैं कि किसी स्टॉक का प्राइस ऊपर जाएगा या नीचे.
जी हां, दोस्तों कैंडलस्टिक पेटर्न ट्रेडिंग करते समय बहुत काम आते हैं क्योंकि जब आप चार्ट पर किसी स्टॉक का प्राइस ऊपर नीचे होता हुआ देखते हैं तो आपको लाल और हरे रंग की दो कैंडल दिखाई देती हैं जो अलग-अलग प्रकार के चार्ट पैटर्न बनाती हैं और इन्हीं पेटर्न्स को ट्रेड करके आप रोजाना पैसे कमा सकते हैं।
लेकिन नए लोगों के लिए अक्सर कैंडलस्टिक पेटर्न को समझना काफी मुश्किल होता है क्योंकि उन्हें समझ ही नहीं आता है कि आखिर कौन से पैटर्न में कब entry और exit करना है या फिर स्टॉप लॉस और टारगेट कहां लगाना है?
इसके अलावा बहुत सारे लोगों को तो कैंडलस्टिक की बेसिक चीज भी पता नहीं होती जैसे–
- किसी कैंडल की बॉडी और शैडो या विक क्या होती है?
- बुलिश या बेरिश कैंडल का क्या मतलब है?
- कैंडलस्टिक पैटर्न हमें क्या बताते हैं?
- एक कैंडल स्टॉक के प्राइस के बारे में क्या-क्या बताती है?
- सिंगल, डबल और ट्रिपल कैंडलस्टिक पेटर्न का क्या मतलब है?
- चार्ट पर हरी या लाल कैंडल को देखकर क्या पता चलता है?
तो आज का टॉपिक है– कैंडलस्टिक पेटर्न को कैसे समझें? और इसके लिए आज मैं आपको 8 ऐसे तरीके बताने वाला हूं जिनको फॉलो करके आप न सिर्फ कैंडलस्टिक पेटर्न को समझ पाएंगे बल्कि इनके द्वारा ट्रेडिंग करके प्रॉफिट भी कमाने लगेंगे.
कैंडलस्टिक पेटर्न को कैसे समझें?
‘कैंडलस्टिक पेटर्न को समझने के लिए आपको अलग-अलग प्रकार की हरी (bullish) और लाल (bearish) कैंडल को स्टडी करना होगा. टेक्निकल एनालिसिस और सपोर्ट रेजिस्टेंस आदि को समझना होगा. साथ ही सिंगल, डबल और ट्रिपल कैंडलस्टिक पेटर्न की बेसिक जानकारी प्राप्त करनी होगी।’
लेकिन यह इतना आसान नहीं है जितना सुनने में लगता है.
क्योंकि नए ट्रेडर्स को चार्ट देखना काफी मुश्किल लगता है और उन्हें चार्ट पर बहुत सारी चीज उन्हें समझ नहीं आती हैं जैसे बहुत सारे लोगों के साथ ऐसा होता है कि जब वह किसी stock को खरीदते हैं तो उनके buy करने के बाद ही price रिवर्स हो जाता है.
ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
और इसका सीधा सा जवाब है ‘कैंडलस्टिक पेटर्न‘
जी हां, अगर आप चार्ट पर बन रहे कैंडलेस्टिक पेटर्न को ध्यान से देखेंगे तो आपको किसी शेयर की प्राइस मूवमेंट के बारे में बहुत सारी चीजें पता चलेगी जो आपको शेयर की कीमत बढ़ने या घटने के बारे में काफी कुछ बताती हैं।
तो चलिए अब कैंडलस्टिक पेटर्न को समझने के इन 8 बेसिक स्टेप्स को एक-एक करके जान लेते हैं―
1. कैंडलस्टिक के बेसिक को समझें
शुरुआती ट्रेडर को कैंडलस्टिक के बेसिक्स को समझना बहुत जरूरी है. इसके अंतर्गत आप सीखते हैं कि–
- चार्ट पर कोई कैंडल कैसे बनती है,
- कैंडलेस्टिक कितने प्रकार की होती हैं,
- किसी कैंडल को कैसे ट्रेड किया जाता है,
- और दो या दो से अधिक कैंडल मिलकर किस प्रकार एक पेटर्न बनाती हैं.
इसके लिए सबसे पहले आपको समझना होगा कि चार्ट पर मौजूद हर एक कैंडल दो चीजों से मिलकर बनी होती है पहला है ‘body‘ और दूसरा है ‘vik‘ जैसे हम ‘शैडो’ भी कहते हैं.
किसी कैंडल का बीच वाला भाग या फिर जो मोटा हिस्सा होता है उसे हम बॉडी कहते हैं जबकि कैंडल के ऊपर नीचे आप जो लंबी-लंबी रेखाएं देखते हैं उसे शैडो या vik कहते हैं।
इसे आप नीचे दी गई इमेज के द्वारा समझ सकते हैं–
कैंडलेस्टिक दो प्रकार की होती हैं–
- बुलिश कैंडलस्टिक, यह हरे रंग की होती है और शेयर प्राइस ऊपर जाने पर यह कैंडल बनती है।
- बियरिश कैंडलस्टिक, यह लाल रंग की होती है और शेयर प्राइस नीचे जाने पर यह कैंडल बनती है।
जब कोई कैंडल बनती है तो उससे हमें price के बारे में 4 चीजें पता चलती है–
- Opening price– यह वह प्राइस होता है जहां से कैंडल बनना शुरू होती है.
- Highest price– कैंडल बनने से लेकर बंद होने के दौरान जितने मैक्सिमम प्राइस तक जाती है उसे कैंडल का हाईएस्ट प्राइस या High कहते हैं.
- Closing price: यह वह प्राइस होता है जहां पर कैंडल पूरी बन जाती है या बनकर खत्म हो जाती है और जहां से नई कैंडल बनने की शुरुआत हो जाती है।
- Lowest price: पूरी कैंडल बनने के दौरान उसे टाइम फ्रेम में प्राइस जितना lowest गया होता है वह उस कैंडल का ‘Low’ कहलाता है।
इन चारों को हम शॉर्ट में Open, High, Close और Low कहते हैं।
चलिए अब बढ़ते हैं कैंडलस्टिक को समझने के दूसरे स्टेप की ओर–
2. अलग-अलग प्रकार की कैंडलस्टिक के बारे में सीखें
कैंडलस्टिक के basics को जानने के बाद आपको अलग-अलग प्रकार की कैंडल्स के बारे में सीखना होगा.
इसके अंतर्गत आप जानेंगे कि–
- चार्ट पर कौन सी कैंडल कब बनती है,
- कौन सी कैंडल क्या बताती है,
- किस कैंडल के बनने का क्या मतलब होता है,
- कौन सी कैंडल सबसे मजबूत होती है मतलब प्राइस को सबसे तेजी से ऊपर या नीचे ले जाती है,
- किसी कैंडल की लंबी बॉडी और छोटी शैडो बनने का क्या मतलब होता है,
- या फिर किसी कैंडल की लंबी शैडो और छोटी बॉडी बनने का क्या मतलब होता है,
तो जब आप अलग-अलग प्रकार कैंडलेस्टिक के बारे में जानेंगे तो आपको इन सभी सवालों का जवाब पता चल जाएगा.
चलिए अब बढ़ते हैं next step की ओर–
3. बेसिक कैंडलस्टिक पैटर्न्स को स्टडी करें
वैसे तो कैंडलस्टिक पेटर्न कई प्रकार के होते हैं. शेयर मार्केट में लगभग 40 से भी ज्यादा कैंडलस्टिक पेटर्न मौजूद हैं जो आपको मार्केट ऊपर या नीचे जाने के बारे में बताते हैं.
लेकिन इन सभी पैटर्न को एक साथ समझना और उन्हें याद रखना काफी मुश्किल है.
क्योंकि जब आप लाइव मार्केट में ट्रेड करते हैं तो उस समय आपको याद नहीं आता है कि कौन सा पैटर्न बनने पर आपको क्या करना है 🤔
तो नए लोगों को मैं एक सिंपल तरीका बताता हूं–
देखिए शुरुआत में आपको सभी प्रकार के कैंडलस्टिक पेटर्न को पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है. सबसे पहले आपको कुछ कॉमन और बेसिक कैंडलस्टिक पेटर्न को समझने की कोशिश करना चाहिए जैसे; हैमर, हैंगिंग मैन, शूटिंग स्टार और डोजी कैंडलेस्टिक पेटर्न.
किसी भी नए trader के लिए यह चार पैटर्न काफी होते हैं बाजार में ट्रेड करने के लिए.
मैं जानता हूं कि इसके अलावा भी बहुत सारे पैटर्न उपयोगी होते हैं लेकिन ऊपर बताए गए चारों पेटर्न (Hammer, hanging man, shooting star, doji) सबसे शक्तिशाली कैंडलस्टिक पैटर्न माने जाते हैं.
और यह पैटर्न आपको चार्ट पर सबसे ज्यादा बनते हुए दिखेंगे. तो अच्छा यही होगा कि कैंडलस्टिक पेटर्न को समझने की शुरुआत इन्हीं 4 पैटर्न से की जाए और धीरे-धीरे करके आप कुछ और पैटर्न की ओर बढ़ सकते हैं जैसे– Shooting star, evening star, harami pattern आदि.
एक बात याद रखिए– शुरुआत में आपको हमेशा सिंगल कैंडलस्टिक पेटर्न को सीखना चाहिए. मतलब ऐसी पैटर्न जो एक प्रकार की कैंडल से मिलकर अपनी होते हैं.
जब इन पैटर्न पर आपकी पकड़ अच्छी हो जाए तो आपको Two candlestick pattern और Three candlestick pattern को सीखने पर फोकस करना चाहिए.
इस स्टेप का जो सबसे जरूरी पॉइंट है वो है― “लगातार प्रेक्टिस करना”
जी हां दोस्तों अगर आप कैंडलस्टिक पेटर्न के द्वारा ट्रेडिंग करके सच में लाखों रुपए कमाना चाहते हैं तो आपको लगातार इनकी प्रैक्टिस करनी होगी
और इसके लिए आपको रोजाना चार्ट को देखना होगा और बारीकी से observe करना होगा कि जो पैटर्न अपने सीखे हैं वह कहां पर बन रहा है और उसके बाद प्राइस किस तरफ जा रहा है.
जब आप लगातार चार्ट पर इन सभी पैटर्न को बनताहुआ देखेंगे तो आपको खुद ही price movement के बारे में बहुत कुछ समझ आने लगेगा कि आखिर किसी स्टॉक का प्राइस किस पैटर्न के बढ़ने पर कैसे move होता है.
अब बढ़ते हैं अगले स्टेप की ओर–
4. शेयर मार्केट के ट्रेंड को समझें
कैंडलेस्टिक पेटर्न को सीखने के लिए बाजार की ट्रेंड को समझना काफी इंपोर्टेंट है. आपको पता होगा कि शेयर मार्केट में तीन प्रकार के ट्रेड होते हैं–
- Uptrend– अपट्रेंड का मतलब है जब मार्केट लगातार ऊपर जाता है यानी मार्केट में जब तेजी का दौर होता है तो ऐसे समय पर आपको bullish candlestick pattern बनते हुए दिखेंगे.
- Downtrend– डाउनट्रेंड का मतलब है जब मार्केट लगातार नीचे जाता है यानी मार्केट में जब मंदी या फिर गिरावट का दौर होता है और ऐसे समय पर आपको bearish candlestick pattern बनते हुए दिखेंगे.
- Sideways– साइडवेज ऐसा ट्रेंड होता है जिसमें मार्केट ना तो ऊपर जाता है और ना ही नीचे बल्कि फ्लैट चलता रहता है. Sideways market में आपको ना तो bullish पैटर्न बनते हुए देखेंगे और ना ही bearish पैटर्न.
आपको बता दें कि कभी भी आपको sideways मार्केट में trading नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे market में आपके टारगेट कभी भी हिट नहीं होंगे बल्कि उसके बजाए स्टॉप लॉस हिट होते रहेंगे और आपको नुकसान झेलना पड़ेगा.
अगर आपको ट्रेडिंग से पैसा कमाना है तो आपको हमेशा trending मार्केट में ही ट्रेड करना चाहिए.
मतलब या तो मार्केट uptrend में होनी चाहिए या फिर डाउनट्रेंड में.
याद रखिए– जितना strong uptrend या downtrend होगा आपको उतना ही बड़ा प्रॉफिट मिलने की संभावना होती है।
ट्रेडिंग भी कई प्रकार की होती है जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग या स्काल्पिंग ट्रेडिंग.
कुछ लोग nifty या banknifty में ट्रेडिंग करते हैं जबकि कुछ लोग सिर्फ stocks में ट्रेडिंग करते हैं.
लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप किस प्रकार की trading करते हैं चाहे आप किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग करें लेकिन हमेशा trending मार्केट में ही ट्रेड करना बेहतर होता है.
मुझे पता है जो लोग ऑप्शन सेलिंग करते हैं वह सोच रहे होंगे कि उनके लिए तो trending market की बजाए sideways market ही पैसा कमा कर देता है जो की उन लोगों के लिए 100% सही है जो कि strangle, straddle या iron condor जैसी ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रैटेजिस का उपयोग करते हैं.
लेकिन यहां पर मैं मानकर चलता हूं कि अगर आप एक शुरुआती ट्रेडर हैं और आप बेसिक इंट्राडे, swing या ऑप्शन ट्रेडिंग (option buying) करते हैं तो आपके लिए trending मार्केट में ही ट्रेड करना सबसे बेहतर होता है।
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चलिए अब बढ़ते हैं कैंडलस्टिक पेटर्न को सीखने के अगले स्टेप की ओर–
5. प्राइस एक्शन को समझें
आपने देखा होगा की प्राइस हमेशा एक पैटर्न में चलता है. उदाहरण के लिए; जब आप किसी चार्ट को देखते हैं तो उस पर कभी भी आपको ऐसा नहीं दिखेगा एक बार में ही कोई स्टॉक 100% ऊपर 📈 चला गया या नीचे 📉 चला गया.
बल्कि किसी भी प्राइस को ऊपर जाने में बहुत सारे उतार-चढ़ाव से होकर गुजरना पड़ता है.
कहने का मतलब है कि अगर मार्केट में uptrend है तो भी आपको प्राइस लगा था ऊपर जाते हुए नहीं दिखाई देगा बल्कि कुछ कुछ देर बाद नीचे आएगा और फिर रैली continue करेगा.
ठीक इसी प्रकार जब मार्केट में downtrend होगा तो price कभी भी सीधा नीचे नहीं जाएगा बल्कि बीच-बीच में थोड़ा ऊपर जाएगा और फिर तेजी से नीचे जाएगा.
और प्राइस के इसी प्रकार मूवमेंट करने की प्रक्रिया को प्राइस मूवमेंट कहते हैं.
इस प्रकार की मूवमेंट से मार्केट में बहुत सारे सपोर्ट और रेजिस्टेंस बन जाते हैं जहां से प्राइस रिवर्स होता रहता है और यह सभी चीजें मिलकर काफी सारे कैंडलस्टिक पेटर्न बनाते हैं.
उम्मीद करता हूं आपको थोड़ा बहुत प्राइस एक्शन के बारे में clearity मिली होगी.
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6. टेक्निकल इंडिकेटर्स के बारे में जानिए
कैंडलस्टिक पेटर्न के अलावा आपको टेक्निकल इंडिकेटर्स के बारे में भी पता होना चाहिए क्योंकि जब आप कैंडलस्टिक को ट्रेड करते हैं तो बहुत बार आपकी accuracy फेल हो जाती है.
मतलब कई बार कुछ कैंडलेस्टिक पेटर्न ठीक से काम नहीं करते हैं.
लेकिन जब आप चार्ट पर इंडिकेटर लगाते हैं तो price किस तरफ जाएगा इसकी लगभग 90% कन्फर्मेशन हो जाती है और इससे आपकी एक्यूरेसी के गुना बढ़ जाती है।
शुरुआत में आप कुछ बेसिक टेक्निकल इंडिकेटर को चार्ट पर लगा सकते हैं जैसे; वॉल्यूम, मूविंग एवरेज, RSI या MACD आदि.
7. अलग-अलग टाइम फ्रेम का उपयोग करें
कैंडलस्टिक पेटर्न को समझने के लिए आपको टाइम फ्रेम की अच्छी समझ होना बहुत जरूरी है.
आप देखते होंगे कि एक ही स्टॉक के अलग-अलग टाइम फ्रेम के चार्ट पर आपको अलग-अलग प्रकार के कैंडलस्टिक पेटर्न बनते हुए देखते हैं.
उदाहरण के लिए;
मान लो अगर आप निफ्टी का 5 मिनट टाइम फ्रेम का चार्ट देखते हैं तो आपको hammer पैटर्न देख सकता है और वहीं अगर आप 15 मिनट का चार्ट देखेंगे तो आपको shooting star पैटर्न भी दिख सकता है.
इसीलिए हमेशा कोशिश करें कि जब आप किसी कैंडलेस्टिक पेटर्न को ट्रेड कर रहे हैं तो उसे अलग-अलग टाइम फ्रेम पर चेक कर लें.
एक और सलाह मैं आपको देना चाहता हूं कि कभी भी trend के विपरीत ट्रेड मत करें मतलब अगर मार्केट का overall trend ‘अपट्रेंड’ है तो आपको हमेशा bullish कैंडलस्टिक पेटर्न को ट्रेड करना चाहिए.
लेकिन अगर मार्केट में downtrend चल रहा है तो आपको bearish candlestick patterns को ट्रेड करना चाहिए।
यह कुछ बेसिक चीजें होती हैं जो नए लोगों को अक्सर पता नहीं होती हैं और वह ट्रेंड के विपरीत पैटर्न को ट्रेड कर लेते हैं जिससे उन्हें काफी बड़ा नुकसान हो सकता है.
देखिए मैं ऐसा नहीं बोल रहा हूं कि आपको ट्रेंड के विपरीत कभी भी प्रॉफिट नहीं हो सकता. मैं मानता हूं कि ट्रेड के विपरीत दिशा में ट्रेड करके कई- कई बार प्रॉफिट मिल जाता है लेकिन अधिकतर नुकसान की संभावना होती है जबकि प्रॉफिट की संभावना बहुत कम होती है इसलिए शुरुआत में हमेशा ट्रेंड के साथ ही ट्रेडिंग करना बेहतर होता है।
चलिए अब बढ़ते हैं कैंडलेस्टिक पेटर्न को समझने के आखिरी स्टेप की ओर–
8. कैंडल चार्ट पढ़ना सीखें
कैंडल चार्ट पढ़ने का मतलब है हर प्रकार की कैंडल को observ करना मतलब ध्यान से देखना. चार्ट पर आप देखते हैं कि–
- कुछ कैंडल बड़ी होती है तो कुछ छोटी.
- किसी कैंडल की बॉडी बड़ी होती है तो किसी कैंडल की शैडो.
- कुछ कैंडल पूरी ग्रीन होती है जबकि कुछ कैंडल पूरी रेड होती है मतलब उनकी कोई शैडो नहीं होती है और ऐसी कैंडल हमें एक स्ट्रांग ट्रेड का संकेत देते हैं जिन्हें हम marubozu कैंडल कहते हैं।
इस प्रकार आप देखते हैं कि हर प्रकार की कैंडल आपको कुछ ना कुछ बताती है.
Besically अगर देखा जाए तो प्रत्येक कैंडल आपको बायर्स और सेलर्स की साइकोलॉजी के बारे में बताती है.
उदाहरण के लिए– मान लो अगर किसी लाल कैंडल की ऊपर की तरफ vik बहुत लंबी है और नीचे की तरफ vik बहुत छोटी है जबकि उसकी बॉडी बिल्कुल ना के बराबर है तो इसका मतलब क्या हुआ?
इस प्रकार की कैंडल के बनने का मतलब यह है कि सबसे पहले buyers ने प्राइस को बहुत ज्यादा ऊपर ले जाने की कोशिश करी फिर सेलर्स ने भी price को नीचे ले जाने की कोशिश की.
लेकिन अंत में buyer और seller की इस लड़ाई में प्रिंस इस लेवल के आसपास जाकर बंद हो गया जहां से ओपन हुआ था. इस प्रकार की कैंडल को हम doji कैंडल कहते हैं.
और इस प्रकार की कैंडल से मिलकर जो पैटर्न बनते हैं उसे डोजी कैंडलेस्टिक पेटर्न कहते हैं।
और इसी प्रकार बहुत सारे कैंडलस्टिक पेटर्न है जो आपको ट्रेडिंग से पैसे कमाने में मदद करते हैं. अगर आप सभी प्रकार के कैंडलस्टिक पेटर्न के बारे में बिल्कुल आसान भाषा में सीखना चाहते हैं तो मैं आपको नीचे दी गई बेस्ट कैंडलेस्टिक पेटर्न बुक पढ़ने की सलाह देता हूं।
कैंडलस्टिक पेटर्न के बारे में सबसे आसान भाषा में और उदाहरण के साथ सीखने के लिए आपको नीचे दी गई किताब जरूर पढ़नी चाहिए जो अब तक की कैंडलस्टिक पर लिखी गई सबसे बेस्ट किताब है. नीचे दिए इमेज पर क्लिक करके आप इस किताब को डाउनलोड कर सकते हैं 👇👇👇
अंत में मैं बस यही कहना चाहता हूं कि हर एक कैंडलस्टिक आपको price के बारे में कुछ ना कुछ बताती है कि आखिर किस कैंडल के बनने पर price कहां जा सकता है।
तो यह थे कैंडलस्टिक पेटर्न को समझने के 8 बेसिक स्टेप्स. अगर आप इन सभी तरीकों को फॉलो करते हैं तो मुझे पूरी उम्मीद है कि कैंडलस्टिक पैटर्न को समझना और ट्रेड करना आपके लिए काफी आसान हो जाएगा।
मुझे पूरी उम्मीद है कि कैंडलस्टिक पेटर्न के बारे में यह जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी.
शेयर मार्केट और कैंडलस्टिक के बारे में और अधिक सीखने के लिए आप इस ब्लॉग की अन्य पोस्ट भी पढ़ सकते हैं जैसे–
- शेयर मार्केट चार्ट कैसे समझें?
- Chart Patterns in hindi
- Best candlestick book in hindi
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