फंडामेंटल एनालिसिस क्या है और किसी शेयर की फंडामेंटल रिसर्च कैसे करें?

Fundamental Analysis in Hindi: जब आप किसी कंपनी के शेयर, बिजनेस या किसी प्रॉपर्टी में पैसा लगाते हैं तो उससे पहले आप उस पर अच्छे से रिसर्च करते हैं ताकि आपको अपनी investment पर सही वैल्यूएशन मिल सके और भविष्य में आप अपने निवेश पर अच्छा प्रॉफिट कमा सकें।

यही रिसर्च जो आप किसी बिजनेस की सही वैल्यू निकालने के लिए करते हैं उसे ही मौलिक विश्लेषण या फंडामेंटल एनालिसिस कहते हैं।

शेयर मार्केट में जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो उस कंपनी के स्टॉक की फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस करने से आपको पता चलता है कि;

  • कंपनी की आर्थिक स्थिति कैसी है,
  • शेयर का उचित मूल्य क्या है,
  • कंपनी के फ्यूचर प्लांस क्या है,
  • उसके बिजनेस मॉडल में दम है या नहीं
  • और वह कंपनी भविष्य में कैसा परफॉर्म कर सकती है।

इसके अलावा आपको Fundamental analysis करने से बहुत सारी चीजें ऐसी पता चलती है जो हमें दूर से नहीं दिखती, इसके बारे में हम आगे विस्तार से बात करने वाले हैं।

फंडामेंटल रिसर्च करने से आपको शेयर की इंटरिंसिक वैल्यू तो पता चलती ही है जिससे आप सही कीमत पर investment कर पाते हैं लेकिन इसके साथ साथ आपको कंपनी के अंदर की चीजें भी पता चलते हैं जो कोई नहीं बताता।

आज आप जानेंगे कि;

  • फंडामेंटल एनालिसिस क्या होती है,
  • शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करते हैं,
  • कंपनी के फंडामेंटल कैसे चेक करें,
  • और फंडामेंटल एनालिसिस करने के क्या-क्या फायदे हैं.

आइए सबसे पहले जानते हैं कि–

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

फंडामेंटल एनालिसिस क्या होती है?

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Fundamental Analysis in Hindi

किसी भी इन्वेस्टमेंट (stocks, प्रॉपर्टी, बिजनेस) की सही वैल्यू (intrinsic value) पता करने के लिए आप जो रिसर्च या मालिक विश्लेषण करते हैं उसे ही फंडामेंटल एनालिसिस कहते हैं। शेयर मार्केट में Fundamental Analysis करने के लिए आपको कंपनी पर रिसर्च करना पड़ता है।

दूसरे शब्दों में, बिजनेस की सही वैल्यू पता करने के लिए आप उस व्यापार का जो विश्लेषण करते हैं उसे ही हम मौलिक विश्लेषण कहते हैं।

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Fundamental Analysis Meaning in Hindi

  • फंडामेंटल एनालिसिस का अर्थ होता है कि आप जो निवेश कर रहे हैं वह सस्ता है या महंगा, इसी का पता लगाने के लिए आपको कुछ चीजों का analysis करना पड़ता है।

शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस करने का क्या मतलब है?

  • फंडामेंटल एनालिसिस वह तरीका है जिसके द्वारा आप को किसी शेयर की सही वैल्यू का पता चलता है। किसी कंपनी के शेयर फंडामेंटल एनालिसिस करने का मतलब है उसके मैनेजमेंट, बिजनेस मॉडल, बैलेंस शीट, फाइनेंशियल स्टेटमेंट को पढ़कर कंपनी का सही वैल्यूएशन पता करना है।

शेयर बाजार में 2 तरीके के एनालिसिस की जाती है– फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस.

अगर आप लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट करते हैं तो शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस करना पड़ता है और अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तो टेक्निकल एनालिसिस करना होता है।

आज हम सिर्फ फंडामेंटल एनालिसिस पर ही बात करेंगे।

फंडामेंटल एनालिसिस करना क्यों जरूरी है?

Why fundamental analysis is important: फंडामेंटल एनालिसिस करना इसलिए जरूरी है ताकि;

  1. कंपनी की वित्तीय स्थिति पता चल सके।
  2. भविष्य में शेयर प्राइस की ग्रोथ का अनुमान लगा सके।
  3. किसी घटिया शेयर में निवेश करने से बच सकें।
  4. लॉन्ग टर्म में अपने निवेश पर अच्छे रिटर्न प्राप्त करें।
  5. स्टॉक का सही वैल्यूएशन निकाल सकें।
  6. उचित मूल्य पर शेयर को खरीद सकें।
  7. उस समय स्टॉक में निवेश कर पाए जब कंपनी मार्केट क्या बहुत छोटा हो।
  8. कंपनी के future plans का पता कर सकें
  9. मैनेजमेंट एनालिसिस कर सकें।

शेयर (Stock) की फंडामेंटल एनालिसिस करते समय इन सभी पॉइंट्स का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

फंडामेंटल एनालिसिस का क्या काम होता है?

आपको यह समझना बहुत जरूरी है कि फंडामेंटल एनालिसिस करने की जरूरत क्यों पड़ती है? क्या इसके बिना हम इन्वेस्टमेंट नहीं कर सकते तो इसके लिए आपको दो चीजों को समझना बहुत जरूरी है–

पहला है Price और दूसरा है Value

आप कहीं पर भी निवेश करें यह 2 ही चीजें होती है

  1. एक तो जो Price आप किसी सिक्योरिटी को खरीदने के लिए Pay करते हैं
  2. और दूसरा आपको उसके बदले में कुछ Value मिलती है।

ध्यान दीजिए– अगर आपको अपने Price की तुलना में अधिक Value मिलती है तो वह अच्छा निवेश है और अगर प्राइस की तुलना में वैल्यू कम मिलती है वह एक घटिया investment होगा जिसके कारण आपको नुकसान भुगतना पड़ेगा।

और यहीं पर फंडामेंटल एनालिसिस काम आती है।

अगर आप अपने Price पर सही value पाना चाहते हैं तो आपको फंडामेंटल एनालिसिस करना सीखना होगा।

ना सिर्फ शेयर में बल्कि आप कहीं पर भी इन्वेस्टमेंट करें यह आपको हर जगह काम आएगा।

आइए एक उदाहरण देखते हैं–

मान लीजिए आप किसी Property या Real estate में पैसा लगा रहे हैं तो उसमें आपको कई चीजों को देखना पड़ता है जैसे;

  • वह प्रॉपर्टी कैसी लोकेशन पर है,
  • उसका एरिया matter करता है,
  • उसकी कंस्ट्रक्शन किस प्रकार से हुई है,
  • उस क्षेत्र में सड़कें कैसी हैं,
  • अगर कमर्शियल प्रॉपर्टी ले रहे हैं तो उस हिसाब से देखना पड़ेगा।

इन सब चीजों को देखने के बाद आप उस प्रॉपर्टी की तुलना उसी क्षेत्र की अन्य प्रॉपर्टी से करते हैं मतलब peer comparison करते हैं।

दोनों की तुलना करने पर शायद आपको पता चलता है कि दूसरी प्रॉपर्टी पहली के मुकाबले ज्यादा अच्छी है क्योंकि-

  • दोनों प्रॉपर्टी का प्राइस same है लेकिन दूसरी वाली में एरिया थोड़ा ज्यादा मिल रहा है,
  • उसकी लोकेशन भी बढ़िया है क्योंकि मार्केट भी पास है, स्कूल भी पास है, हॉस्पिटल के पास है, मेट्रो स्टेशन के पास है।

तो इन सभी फैक्टर्स को देखने के बाद आपको दूसरी प्रॉपर्टी ज्यादा अच्छी लगती हैं (जबकि पहले आप कोई और प्रॉपर्टी देने वाले थे) लेकिन Peer comparison करने पर आपका विचार चेंज हो गया.

और इन सभी चीजों को देखने के बाद आप दूसरी प्रॉपर्टी में investment करने का फाइनल निर्णय लेते हैं।

तो देखा आपने जिस तरह से रियल एस्टेट या प्रॉपर्टी खरीदते समय बहुत सारी चीजों को देखना पड़ता है उसके बाद ही हम investment करते हैं

ठीक इसी तरह स्टॉक मार्केट में share खरीदते समय भी आपको बहुत सारी चीजों को देखना पड़ता है तभी आप एक अच्छा शेयर खरीद सकते हैं।

और इन सब चीजों को देखने और चीजों को analyse करने की प्रक्रिया को ही हम फंडामेंटल एनालिसिस का नाम देते हैं।

कंपनी के फंडामेंटल कैसे चेक करें?

फंडामेंटल चेक करने से पहले आपको यह पता होना जरूरी है कि असल में फंडामेंटल का अर्थ क्या होता है?

तो किसी भी कंपनी के फंडामेंटल चेक करने का मतलब यह है कि आपको पता चल सके कि;

  • उस कंपनी की वित्तीय स्थिति कैसी है,
  • मैनेजमेंट कितना ईमानदार है या नहीं,
  • कंपनी कितने मुनाफे या नुकसान में,
  • कंपनी का बिजनेस प्रॉफिटेबल है या नहीं,
  • कंपनी अपने Loan को चुकाने में समर्थ है या नहीं,

इसके अलावा बहुत सारी चीजें कंपनी के फंडामेंटल चेक करने से पता चलती हैं।

शेयर के फंडामेंटल कैसे चेक करें:

  1. कंपनी का बिजनेस मॉडल समझने की कोशिश करें.
  2. इंडस्ट्री एनालिसिस करो
  3. बाजार में उसके अन्य competitors से तुलना करो।
  4. चेक करो कि कंपनी किस प्रोडक्ट से कितना रिवेन्यू कमा रही है।
  5. चेक करो कि प्रॉफिट मार्जिन कितना है।
  6. उस सेक्टर में कंपनी का मार्केट शेयर कितना है।
  7. उस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी कौन सी है।
  8. शेयर के फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़ें।
  9. फाइनेंशियल रेश्योस देखें।
  10. देखो कि कंपनी अपने कैश को किस तरह से उपयोग कर रही है।
  11. देखो कि सेल्स और प्रॉफिट कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं,
  12. कंपनी का मैनेजमेंट एनालिसिस करो।
  13. पता करो कि कंपनी रेवेन्यू बढ़ाने के लिए क्या कर रही है।
  14. कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ो।
  15. तिमाही नतीजे देखो।
  16. कंपनी के भविष्य की योजनाओं के बारे में पता करो।
  17. कंपनी के बिजनेस में क्या कमियां है, वह पता करो।
  18. प्रमोटर्स की शेयर होल्डिंग जरूर देखो।

ऊपर बताए गए सभी point शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए बहुत जरूरी है। इनकी मदद से आप कंपनी के फंडामेंटल चेक कर सकते हैं।

फंडामेंटल एनालिसिस में क्या-क्या आता है?

What includes in fundamental analysis of a stock in hindi– किसी कंपनी के शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस करते वक्त नीचे दी गई चीजें देखना पड़ता है–

  • शेयर की इंटरिंसिक वैल्यू पता करना।
  • फाइनेंशियल रेश्योस देखना।
  • कंपनी की बैलेंस शीट चेक करना।
  • प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट देखना।
  • कैश फ्लो स्टेटमेंट analyse करना।
  • प्रॉफिट और सेल्स ग्रोथ का एनालिसिस करना।
  • कंपीटीटर्स से तुलना करना।

इसके अलावा भी फंडामेंटल रिसर्च में बहुत सारी चीजें आती हैं लेकिन इतनी चीजें मुख्य हैं और इनसे 90% स्टॉक एनालिसिस कंप्लीट हो जाती है।

मतलब इतना तो पक्का है कि अगर आप ऊपर बताए सभी points पर खुद से एनालिसिस करते हैं तो आप अच्छी high growth कंपनी का शेयर खरीद पाएंगे।

आगे मैं इन सभी points के बारे में विस्तार से बात करने वाला हूं।

फंडामेंटल एनालिसिस कितने प्रकार की होती है?

Types of fundamental analysis in hindi: फंडामेंटल एनालिसिस दो प्रकार की होती है–

  1. Qualitative Analysis
  2. Quantitative Analysis
  • Qualitative Analysis: जब फंडामेंटल एनालिसिस कंपनी के बिजनेस मॉडल, ब्रांड वैल्यू, लीडरशिप, मोनोपोली, कंपनी की परफॉर्मेंस आदि के आधार पर की जाती है तो उसे Qualitative Analysis कहते हैं।
  • Quantitative Analysis: जब फंडामेंटल एनालिसिस करते समय बैलेंस शीट कैश फ्लो स्टेटमेंट प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट और फाइनेंशियल रेश्योस analyse करते हैं तो उसे Quantitative Analysis कहा जाता है।

फंडामेंटल रिसर्च के दौरान आपको इन दोनों एनालिसिस से होकर गुजरना पड़ता है तभी आप अच्छे मजबूत फंडामेंटल वाले शेयर पहचान सकते हैं।

शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें? (Fundamental Ananlysis of a stock in hindi)

किसी कंपनी के शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए नीचे मैं आपको एक चेकलिस्ट दे रहा हूं जिसको फॉलो करके आप मल्टीबैगर शेयर पहचान सकते हैं।

इस चेकलिस्ट में हमने कुछ पॉइंट include किये हैं जिनकी मदद से आप step by step Fundamental analysis कर पाएंगे।

आइए अब सभी पॉइंट को एक-एक करके जान लेते हैं–

  1. कंपनी का बिजनेस मॉडल समझने की कोशिश करें.
  2. मैनेजमेंट एनालिसिस करें.
  3. शेयर के Financial Ratios देखें
  4. फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़ें.
  5. कंपनी में Competitive advantage देखें
  6. डिविडेंड चेक करें

आइए आप सभी पॉइंट्स को एक-एक करके details में जान लेते हैं–

1. कंपनी का बिजनेस मॉडल समझने की कोशिश करें

फंडामेंटल एनालिसिस का सबसे पहला स्टेप है कंपनी का बिजनेस मॉडल समझना। क्योंकि अगर आपको कंपनी का बिजनेस ही समझ नहीं आता है तो उसमें निवेश करने का कोई फायदा नहीं है।

दुनिया की सबसे अमीर इन्वेस्टर warren buffet का भी यही नियम है मतलब जब तक उन्हें कंपनी का बिजनेस समझ नहीं आता तब तक वह उसका शेयर कभी नहीं खरीदते।

अगर आपको कंपनी का बिजनेस पता होगा तो शॉर्ट टर्म में कंपनी के शेयर प्राइस में हो रहे उतार-चढ़ाव से आपको फर्क नहीं पड़ेगा।

अगर शेयर प्राइस बहुत ज्यादा गिरता भी है तो आपको उसके पीछे का कारण पता होगा और ऐसे में बहुत सारे लोग डरकर पैनिक selling कर रहे होंगे जबकि वह आपके लिए एक buying opportunity होगी।

लेकिन अगर आपको भी बाकी लोगों की तरह कंपनी क्या करते हैं और कंपनी का बिजनेस कैसे काम करता है यही पता नहीं होगा तो आप भी बाकी लोगों की तरह गिरावट के वक्त उस share को नुकसान में बेच देंगे।

स्टॉक मार्केट में अधिकतर लोगों को नुकसान सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि उन्हें कंपनी का बिजनेस नहीं पता होता फिर भी वह सिर्फ दूसरे लोगों को देखकर उसमें इन्वेस्टमेंट कर देते हैं और बाद में जब उस शेयर में गिरावट होती है तो कम प्राइस पर बेचकर अपना loss कर बैठते हैं।

अब सवाल यह आता है कंपनी का बिजनेस मॉडल कैसे समझें तो इसके लिए आपको–

  • चेक करना होगा कि कंपनी पैसा कैसे कमाती है,
  • देखो कि कंपनी का रेवेन्यू किस प्रोडक्ट से कितना आता है,
  • किस प्रोडक्ट को बनाने की लागत (expense) कितनी आती है,
  • रिवेन्यू और खर्चों को अच्छे से analyse करने की कोशिश करें,
  • अगर कोई प्रोडक्ट नहीं दिख रहा है तो उसके पीछे क्या कारण है,
  • देखो कि कंपनी अपनी सेल्स को बढ़ाने के लिए क्या कर रही है।

जब आप ऊपर दी गई बातों पर विचार करेंगे तो आपको किसी भी कंपनी का बिजनेस मॉडल समझने में आसानी होगी।

2. मैनेजमेंट एनालिसिस करें

फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी का मैनेजमेंट एनालिसिस करना बहुत important step होता है। क्योंकि अगर मैनेजमेंट ईमानदार नहीं है तो उस कंपनी पर रिसर्च करने का कोई फायदा नहीं है।

आपको सत्यम स्कैम के बारे में तो पता ही होगा जिसमें कंपनी का मैनेजमेंट ईमानदार नहीं था जबकि सभी फाइनेंशियल स्टेटमेंट और बैलेंस शीट बहुत मजबूत थी लेकिन मैनेजमेंट के नियत खराब होने के कारण पूरी कंपनी डूब गई और इन्वेस्टर्स का पैसा बर्बाद हो गया।

इसीलिए फाइनेंसियल स्टेटमेंट देखने से पहले कंपनी के मैनेजमेंट के लोगों का बैकग्राउंड जरुर चेक कर लें।

उदाहरण के लिए;

  • अगर कोई कंपनी टाटा ग्रुप की है तो हम सभी जानते हैं कि टाटा ग्रुप का मैनेजमेंट कितना ईमानदार है.
  • लेकिन कोई अन्य कंपनी जिसमें आपको मैनेजमेंट के बारे में कुछ नहीं पता है उसमें Risk बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

मैनेजमेंट ananlysis करने के लिए–

  • कंपनी के सभी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की एजुकेशन क्वालिफिकेशन चेक करें।
  • पता करें कि उनका बैकग्राउंड क्या है मतलब क्या वह किसी अन्य कंपनी में काम कर चुके हैं और अगर हां तो उस कंपनी पर भी रिसर्च करें।
  • वार्षिक रिपोर्ट में जाकर मैनेजमेंट की सैलरी देखें।
  • कंपनी के टॉप management के लोग कुल प्रॉफिट के 1% से ज्यादा सैलरी ले रहे हैं तो इसका मतलब है कि मैनेजमेंट की नियत साफ नहीं है।

3. Financial Ratios देखें

वैसे तो शेयर मार्केट में बहुत सारे financial ratios होते हैं जिन्हें चेक करके आप अपने निवेश की accuracy बढ़ा सकते हैं। लेकिन उनमें से 3 फाइनेंसियल रेश्यो सबसे ज्यादा जरूरी होते हैं जिनके बारे में हम आगे बात करने वाले हैं–

  1. P/E Ratio
  2. P/B Ratio
  3. Debt to Equity Ratio

1. P/E Ratio:

पीई रेश्यो का अर्थ है Price to Earning Ratio. मतलब आप जो प्राइस दे रहे हैं उसके बदले कंपनी कितना कमा रही है।

  • पीई रेश्यो को देखकर पता चलता है कि शेयर सस्ता है या महंगा।
  • अगर PE Ratio 20 से कम है तो उसे एक अच्छा पीई अनुपात माना जाता है।
  • लेकिन आपको हमेशा इंडस्ट्री या sector pe से तुलना करके ही शेयर खरीदना चाहिए।

क्योंकि आपने देखा होगा कि हाई ग्रोथ वाली कंपनियों (Pidilite, Asian paint आदि) के पीई रेश्यो भी काफी ज्यादा (80, 90, 100) होते हैं लेकिन ऐसे में अगर आप सिर्फ यह देखकर कि पीई मंहगा है उनमें इन्वेस्टमेंट ना करें तो यह गलत निर्णय हो सकता है।

जबकि कुछ कंपनियां हैं जिनका पीई रेश्यो बहुत कम है जैसे; Coal india, ONGC तो अगर आप ऐसी कंपनियों की शेयर प्राइस देखें तो उनमें ज्यादा ग्रोथ नहीं होती है मतलब अगर आपने सिर्फ इनमें Low Pe ratio देखकर निवेश किया होता तो आपको अच्छे रिटर्न नहीं मिलते।

आपने देखा होगा Dmart जैसी इतनी बड़ी फंडामेंटल मजबूत कंपनी का PE हमेशा high रहता है यह आपको अक्सर 100 से ऊपर ही देखने को मिलेगा तो इसका मतलब यह नहीं है कि Dmart शेयर महंगा है तो इसमें इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहिए

बल्कि आपको यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि अगर कोई कंपनी High pe पर ट्रेड कर रही है तो इसका मतलब है कि मार्केट को कंपनी की earning पर भरोसा है मतलब बाजार को लगता है कि उस कंपनी का प्रॉफिट भविष्य में बढ़ता रहेगा और इसलिए बाजार उस कंपनी को high pe या हाई वैल्यूएशन देता है।

2. P/B Ratio

पीबी रेश्यो का मतलब है प्राइस टू बुक वैल्यू रेशों। बुक वैल्यू का मतलब होता है अगर कंपनी अपनी सारी लायबिलिटी को चुका दे तो उसके बाद कंपनी के पास जो assets बचेंगे उनकी वैल्यू ही book value कहलाती है।

  • P/B Ratio जितना कम हो उतना अच्छा माना जाता है।
  • लेकिन आईटी कंपनी में आपको हमेशा यह ज्यादा देखने को मिलेगा क्योंकि उनमें tangible assets बहुत कम होते हैं।
  • लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि High P/B रेश्यो है तो सभी आईटी कंपनियां बेकार होती हैं
  • बल्कि आपको यह समझना चाहिए कि उनमें intangible assets ज्यादा होते हैं जैसे– ब्रांड वैल्यू, गुडविल, पेटेंट, लाइसेंस, सॉफ्टवेयर आदि
  • और इन सभी की कोई फिजिकल वैल्यू नहीं होती है इसीलिए इन कंपनियों के P/B Ratio ज्यादा होते हैं।

इसीलिए जब भी आप तो कंपनियों के P/B Ratio तुलना करें तो ध्यान रखिए कि दोनों कंपनियां एक ही सेक्टर की होनी चाहिए।

3. Debt to Equity Ratio

यह अनुपात कंपनी में कर्ज (Loan) की स्थिति को दर्शाता है. अगर डेट इक्विटी रेशों एक से कम है तो अच्छा माना जाता है. लेकिन अगर यह एक से ज्यादा है तो नुकसान के चांसेस बढ़ जाते हैं।

जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि Debt और Equity के अनुपात से मिलकर ही यह बनता है। इस रेश्यो को देखकर आप पता लगा सकते हैं कि कंपनी पर कर्ज ज्यादा है या कम।

ऊपर बताए गए तीनों Financial Ratios फंडामेंटल एनालिसिस में सबसे जरूरी होते हैं।

इनके 3 ratios के अलावा ROE (रिटर्न ऑन इक्विटी), ROCE (रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड), Current Ratio, Interest coverage ratio भी जरूर देखें।

4. फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़ें

फाइनेंसियल स्टेटमेंट में तीन चीजें आती हैं–

  1. बैलेंस शीट
  2. प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट
  3. कैश फ्लो स्टेटमेंट

1. बैलेंस शीट

किसी कंपनी की बैलेंस शीट बताती है कि उस कंपनी के पास कितने asset और liability हैं। बैलेंस शीट देखकर आपको पता चलता है कि जो कंपनी की बुक वैल्यू है वह किन चीजों की वजह से है।

बैलेंस शीट में बहुत इंपोर्टेंट चीजें लिखी होती है जैसे;

  • Current and Non current assets
  • Tangible and Intangible assets,
  • Current and Non-current liabilities
  • Account Receivables
  • Account Payables

बैलेंस शीट पढ़कर आप किसी भी कंपनी की आर्थिक स्थिति जान सकते हैं. इसे देखकर आपको पता चलता है कि कंपनी ने कितने शॉर्ट टर्म और लोंग टर्म Loan लिए हुए हैं और क्या कंपनी के पास उतने assets हैं जिनसे वह अपने Loan की भरपाई कर सकती है.

बैलेंस शीट का फंडामेंटल एनालिसिस करना ही बैलेंस शीट एनालिसिस कहलाता है।

2. प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट:

यह किसी कंपनी के सालाना सेल्स और प्रॉफिट दिखाता है। यह बताता है कि;

  • कंपनी साल दर साल कितना रेवेन्यू कमा रही है,
  • प्रत्येक साल का और ऑपरेटिंग प्रॉफिट कितना है,
  • OPM (ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन) क्या है ,
  • Ebitda और Ebitda margin क्या है,
  • उस साल depreciation और amortization कितना हुआ है,
  • नेट प्रॉफिट (शुद्ध लाभ) और नेट प्रॉफिट मार्जिन क्या है।

इस वित्तीय स्टेटमेंट को देख कर आपको पता चलता है कि कंपनी हर साल कितनी तेजी से अपना सेल्स और प्रॉफिट ग्रोथ बढ़ा रही है।

अगर कंपनी की ग्रोथ नेगेटिव में है तो आपके ऐसी कंपनी में invest करने से बचना चाहिए और और Loss करने वाली कंपनी का तब तक शेयर नहीं खरीदना चाहिए जब तक आप को पूरी तरह से भरोसा ना हो कि वह कंपनी भविष्य में मुनाफा कमाएगी।

प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट analyze के बाद अगर आपको लगे कि कंपनी हर साल लगातार अपने Revenue और Profit में तेजी से ग्रोथ कर रही है और Profit Margin भी high हैं तो आप ऐसी High growth कंपनी का stock खरीद सकते हैं।

शेयर मार्केट में किसी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करते समय अगर आप उसकी ग्रोथ का पता लगाना चाहते हैं तो P&L स्टेटमेंट देखना सबसे अच्छा तरीका है।

Related: शेयर कब खरीदना और बेचना चाहिए?

3. कैश फ्लो स्टेटमेंट

कैश फ्लो स्टेटमेंट देख कर पता चलता है कि कंपनी में कितना cash आ रहा है और कितना cash कंपनी से बाहर जा रहा है।

जब आप P&L स्टेटमेंट देखते हैं तो आपको यह तो पता चलता है कि बिजनेस कितना revenue और प्रॉफिट कमा रहा है लेकिन आपको यह पता नहीं चलता है कि उस Revenue के बदले कंपनी के पास कितना नगद cash आया है

मतलब अगर आपको यह जानना है कि हर साल कंपनी ने जो सामान बेचा है उसमें से कितना सामान उधार पर और कितना cash में sell किया है तो cashflow statement पढ़ना अच्छा तरीका है।

कई बार ऐसा होता है कि customers उधार पर माल खरीद लेते हैं जिसे बैलेंस शीट में ‘Account receivables के अंदर लिखा जाता है लेकिन प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में इसकी कोई जानकारी नहीं होती है।

उदाहरण के लिए–

मान लीजिये साल 2022 में किसी XYZ लिमिटेड कम्पनी ने 100 करोड़ का माल बेचा (जिसमें से 60 करोड़ नगद और 40 करोड़ उधार) पर बेचा गया

इसी साल उस माल को बनाने का खर्चा 70 करोड़ था मतलब ऑपरेटिंग प्रॉफिट (100–70) = 30 करोड़ हुआ।

अब साल 2022 के प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में revenue 100 करोड़ ही दिखाई देगा जबकि वास्तव में कंपनी के पास cash 60 करोड़ ही आया है क्योंकि 40 करोड़ उधार पर बेचा था।

कंपनी के पास कितना पैसा आया है इसकी entry आपको cashflow स्टेटमेंट में दिखाई देगी।

इस हिसाब से अगर देखा जाए तो साल 2022 में कंपनी के खर्चे यानी expense 70 करोड़ है और cash सिर्फ 60 करोड़ ही आया है मतलब कंपनी को 10 करोड़ अपनी जेब से लगाना पड़ा।

तो अगर आप सिर्फ P&L देखकर और सिर्फ यह देखकर शेयर खरीदने का निर्णय लेते कि प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में कंपनी के revenue और net income हर साल बढ़ रहे है तो यह गलत फैसला होता।

इसीलिए शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस में cashflow स्टेटमेंट की अहम भूमिका है।

अगर आप इन तीनों Financial statement ( बैलेंस शीट प्रॉफिट एंड लॉस और कैश फ्लो स्टेटमेंट) का अच्छे से analysis करते हैं तो मैं गारंटी देता हूं कि आप कभी भी गलत निवेश नहीं करेंगे, आपका investment हमेशा अच्छी कंपनियों में ही होगा जो भविष्य में आपको शानदार रिटर्न देगी।

5. कंपीटीटर्स से तुलना करो (competition advantage)

एक बार जब आप कंपनी के;

  • बिजनेस को अच्छे से समझ लेते हैं,
  • मैनेजमेंट एनालिसिस कर लेते हैं,
  • सभी फाइनेंसियल ratios को भी analyze कर लेते हैं,
  • तीनों फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़ लेते हैं,

तो अब बारी है कंपीटीटर्स से तुलना (compare) करने की.

क्योंकि हो सकता है कि उसी सेक्टर की अन्य कंपनी के पास कोई competitive advantage हो या monopoly हो जिसकी वजह से मार्केट में उस कंपनी का कोई कंपटीशन ही ना हो, तो फिर आपको इस कंपनी को छोड़कर दूसरी कंपनी में invest करना चाहिए।

उदाहरण के लिए–

  • Asian paint इंडिया की पेंट बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है और पूरे मार्केट में इनका कोई कंपटीशन नहीं है
  • हिंदुस्तान युनिलीवर का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क ही उनका competition advantage है इसीलिए उनकी टक्कर में कोई दूसरी FMCG कंपनी नहीं है।
  • फेविकोल बनाने वाली कंपनी Pidilite का ब्रांड वैल्यू और trust लोगों के बीच बहुत गहरा बन चुका है इसीलिए इनका मार्केट में कोई कंपटीशन नहीं है,
  • Dmart ने भी खुद के रिटेल stores खोलकर competition से खुद को आगे कर दिया है क्योंकि इन्हें rent नहीं देना पड़ता जिससे ये कंपीटीटर्स के मुकाबले कम कीमत पर माल बेच पाते हैं।

आपको देखना होगा कि जिस कंपनी का आप Fundamental analysis कर रहे हैं उसके पास क्या कंपटीशन adavantage है जो उसे सेक्टर की बाकी कंपनियों से आगे रखता है।

किसी कंपनी में कंपटीशन adavantage होना बहुत जरूरी है वरना भविष्य में कोई भी बड़ी कंपनी मार्केट में आकर उसका market share छीन सकती है

जिससे इनका रिवेन्यू और प्रॉफिट बहुत तेजी से गिरने लगेगा और अंततः शेयर प्राइस में जबरदस्त गिरावट होगी जिससे निवेशकों को भारी नुकसान होगा।

इसलिए हमेशा ऐसी कंपनी के शेयर में पैसा लगाएं जिसके पास कोई competition advantage हो।

इसी competition advantage को वॉरेन बफेट ‘Moat’ बोलते हैं और वह कभी भी बिना Moat वाली कंपनी में invest करना पसंद नहीं करते और यही कारण है कि आज वह दुनिया के सबसे अमीर इन्वेस्टर हैं।

6. कंपनी के फ्यूचर प्लांस देखें

अगर आप किसी कंपनी में भविष्य को देखकर निवेश करते हैं तो ही आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिलने के chances हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि किसी भी शेयर का future prediction करना आसान नहीं होता।

क्योंकि अगर आप ऐसा कर लेते तो आपने भी राकेश झुनझुनवाला की तरह टाइटन कंपनी उस समय निवेश किया होता जब कोई भी उस कंपनी में पैसा लगाने को तैयार नहीं था।

लेकिन झुनझुनवाला जी को पूरा भरोसा था कि कंपनी भविष्य में अच्छा परफॉर्म करेगी क्योंकि उन्हें लगता था कि-

  • उस बिजनेस की डिमांड बढ़ने वाली है मतलब Watch (घड़ी) मार्केट इंडिया में expand करने वाली है,
  • इसके लिए उन्होंने काफी डाटा को analyse किया होगा,
  • कम्पनी के सभी फाइनेंसियल स्टेटमेंट पढ़े होंगे,
  • जहां एक ओर टाइटन कंपनी में सभी इन्वेस्टर्स डरे हुए थे क्योंकि कंपनी को उस समय loss हो रहा था वहीं राकेश झुनझुनवाला जानते थे कि यह loss टेंपरेरी है जो कुछ समय बाद ठीक हो जाएगा,
  • इसीलिए वह उस समय कंपनी में निवेश कर पाए जब उसकी मार्केट कैप बहुत कम थी और तब Titan एक सस्ता शेयर था,
  • उनके इन्वेस्ट करने के कुछ समय बाद ही शेयर प्राइस बहुत तेजी से बढ़ने लगा लेकिन फिर भी उन्होंने अपने शेयर नहीं बेचे और वह सालों साल तक इस कंपनी में invested बने रहे

और आज आप जानते हैं कि big bull कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला हम सबके बीच नहीं है लेकिन उनकी संपत्ति का 80% सिर्फ टाइटन कंपनी में investment से ही बना है।

तो अगर आप भी पहले ही कंपनी के भविष्य की योजनाओं का पता कर लेते हैं तो future में आपको Multibagger returns मिल सकते हैं।

किसी भी कंपनी के future plans पता करने के लिए आपको–

  • उस कंपनी की annual report पढ़ना होगा,
    कंपनी हर साल अपनी वेबसाइट पर वार्षिक रिपोर्ट पब्लिश करती है,
  • Annual report में फ्यूचर प्लांस के बारे में मैनेजमेंट डिस्कशन वाले सेक्शन में बताया जाता है,
  • इस सेक्शन में कंपनी का मैनेजमेंट उस बिजनेस को भविष्य में विस्तार करने के विषय में चर्चा करता है,
  • यह चर्चा सुनना बहुत जरूरी होती है इससे आपको समझ आता है कि कंपनी का मैनेजमेंट जो उस कंपनी को चला रहा है वह इस तरह से सोचता है और उस बिजनेस को लेकर उनका क्या vision है।

लेकिन दोस्तों सच बताऊं तो शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने वाले 70% से ज्यादा लोग कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट नहीं पड़ते हैं और यही कारण है कि उन्हें शेयर मार्केट में नुकसान होता है।

इसलिए याद रखिए शेयर (stocks) की फंडामेंटल एनालिसिस करते वक्त कंपनी के भविष्य की योजनाओं पर जरूर नजर रखें।

7. डिविडेंड चेक करें

डिविडेंड का मतलब होता है ‘लाभांश’ यानी वह पैसा जो कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को देती है। कुछ कंपनियां साल में एक बार डिविडेंड देती हैं तो कुछ कंपनियां साल में 3 से 4 बार भी डिविडेंड देती हैं और कुछ कंपनियां डिविडेंड देती ही नहीं है।

बहुत सारे लोग सिर्फ डिविडेंड को देखकर शेयर खरीद लेते हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि;

  • मान लो किसी कंपनी में 5% डिविडेंड यील्ड है और वह साल में एक बार डिविडेंड देती है.
  • तो आप सोचते हैं कि अगर अगर हम 10 लाख रुपये उसमें लगा देते हैं तो हर साल investment का 5% डिविडेंड के रूप में मिलता रहेगा और शेयर प्राइस की ग्रोथ से अलग फायदा होगा।

लेकिन यहीं पर लोग गलती करते हैं।

आपको सिर्फ high डिविडेंड वाली कंपनियों के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि समझना चाहिए कि जो कंपनी डिविडेंड दे रही है

  • उसके पास सच में extra cash है या नहीं,
    या फिर वह सिर्फ निवेशक को को लुभाने के लिए डिविडेंड बांट रही है,
  • कुछ कंपनियों पर कर्ज बहुत ज्यादा होता है फिर भी वह डिविडेंड देती हैं ऐसी कंपनियों में कभी भी निवेश मत करें,
  • याद रखिए कंपनी डिविडेंड सिर्फ इसीलिए देती है ताकि लोग उसके share में अधिक से अधिक पैसा निवेश करें,
  • बहुत ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों के शेयर प्राइस बहुत कम ऊपर जाते हैं क्योंकि कंपनी अपने प्रॉफिट का अधिकतर हिस्सा व्यापार की ग्रोथ में लगाने की बजाए निवेशकों को लाभांश के रूप में बांट रही है।

आपने देखा होगा कि Google जैसी बड़ी कंपनी डिविडेंड नहीं देती है क्योंकि वह अपना सारा प्रॉफिट कंपनी की ग्रोथ re-invest करते हैं जिसका फायदा शेयर प्राइस की ग्रोथ के रूप में निवेशकों को ही मिलता है।

जबकि कुछ कंपनियां बहुत छोटी होती है उस पर debt भी बहुत ज्यादा होता है फिर भी लोगों को डिविडेंड बाटती है। आपने अक्सर सरकारी कंपनियों (ONGC, Coal India) में ऐसा देखा होगा कि उन पर भारी कर्ज होने के बावजूद शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती हैं।

मेरा कहना है कि ऐसी कंपनियों से हमेशा दूर रहे और कभी भी सिर्फ डिविडेंड के लालच में आकर शेयर मत खरीदे।

अगर आपने अब तक इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ा है तो Congratulations, आपने stocks की फंडामेंटल एनालिसिस करना सीख लिया है।

अगर आप किसी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले सिर्फ ऊपर बताई गई सभी बातों को अप्लाई करते हैं तो आप एक बढ़िया profitable ग्रोथ इन्वेस्टमेंट कर पाएंगे।

फंडामेंटल एनालिसिस करने के फायदे

Advantages of fundamental analysis in hindi–

फंडामेंटल एनालिसिस करने से आपको पता चलता है कि–

  1. कंपनी की वित्तीय स्थिति कैसी है और वह पैसा कैसे कमाती है।
  2. कंपनी का बिजनेस मॉडल क्या है और मैनेजमेंट कैसा है।
  3. शेयर के फंडामेंटल कितने मजबूत हैं।
  4. कंपनी पर कितना debt है।
  5. फाइनेंशियल रेश्योस का analysis करने के बाद आपको पता चलता है कि वह उस कर्ज को चुकाने में सक्षम है या नहीं।
  6. बैलेंस शीट पढ़कर पता चलता है कि कंपनी के पास कितने Assets और Liabilities हैं।
  7. फाइनेंसियल स्टेटमेंट के द्वारा आप जान सकते हैं कि कंपनी हर साल कितना revenue और profit कमा रही है,
  8. कंपनी में कितना नगद cash आ रहा है और कितना माल उधार पर बिक रहा है।
  9. वार्षिक रिपोर्ट पढ़कर आप मैनेजमेंट के future plans के बारे में जान सकते हैं।
  10. फंडामेंटल एनालिसिस करने से पता चलता है कि कंपनी का कंपटीशन एडवांटेज क्या है।

FAQ’s About Fundamental Analysis in Hindi

शेयर मार्केट में फंडामेंटल कैसे चेक करें?

शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर के फंडामेंटल चेक करने के लिए आप मनीकंट्रोल या screener.in जैसी वेबसाइट जरिये आसानी से देख सकते हैं। इन वेबसाइट पर आपको कंपनी के सभी फाइनेंसियल स्टेटमेंट और फाइनेंशियल रेश्योस दिख जाएंगे।

शेयर बाजार के लिए कौन सा विश्लेषण सबसे अच्छा है?

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो मौलिक विश्लेषण यानी फंडामेंटल एनालिसिस करना सबसे अच्छा है।

फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस में क्या अंतर है?

फंडामेंटल एनालिसिस में आपको कंपनी के बिजनेस और उसके फाइनेंसियल स्टेटमेंट पर रिसर्च करना पड़ता है जबकि टेक्निकल एनालिसिस में आपको कैंडलेस्टिक पेटर्न, प्राइस एक्शन, सपोर्ट रेजिस्टेंस, स्टॉप लॉस, टारगेट आदि देखना पड़ता है।

फंडामेंटल एनालिसिस की मदद से एक अच्छा शेयर कैसे चुनें?

फंडामेंटल एनालिसिस करते समय कंपनी के बिजनेस को अच्छे से समझते हैं, मैनेजमेंट एनालिसिस करते हैं, सभी फाइनेंशियल स्टेटमेंट पढ़ते हैं और कंपनी के फ्यूचर प्लांस को लेकर निवेश करते हैं तो आप एक अच्छा शेयर चुन सकते हैं।

निष्कर्ष (Fundamental Analysis in hindi)

इस लेख में मैंने आपको बताया है कि शेयर मार्केट में फंडामेंटल एनालिसिस क्या होती है और किसी कंपनी के शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें (how to do fundamental analysis of a stock in hindi) आशा करता हूं आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी।

मैं आपको बताना चाहता हूं कि किसी भी कंपनी का शेयर खरीदने से पहले अगर आप फंडामेंटल रिसर्च की इस चेकलिस्ट को फॉलो करते हैं तो निश्चित ही आप एक मल्टीबैगर शेयर ढूंढ पाएंगे जो भविष्य में आपकी इन्वेस्टमेंट पर शानदार रिटर्न्स देगा।

पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

अगर आपका इस पोस्ट से संबंधित कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए।

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मेरा नाम दीपक सेन है और मैं इस वेबसाइट का Founder हूं। यहां पर मैं अपने पाठकों के लिए नियमित रूप से शेयर मार्केट, निवेश और फाइनेंस से संबंधित उपयोगी जानकारी शेयर करता हूं। ❤️