ऑप्शन सेलिंग क्या है – 2024 में ऑप्शन सेलिंग कैसे करें?

Option selling kya hai– ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन को बेचने की प्रक्रिया को ही ऑप्शन सेलिंग कहते हैं। ऑप्शन बेचने वाले को Time decay का फायदा मिलता है मतलब समय बीतने के साथ-साथ अगर ऑप्शन की वैल्यू घटती या बढ़ती नहीं है तो ऑप्शन सेलर को प्रॉफिट होता है।

Option selling in hindi

जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रवेश करते हैं तब या तो आप ऑप्शन बाइंग करते हैं या फिर ऑप्शन सेलिंग. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में 80% लोग ऑप्शन बाइंग करते हैं जबकि केवल 20% लोग ही ऑप्शन सेलिंग करते हैं।

इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ऑप्शन सेलिंग करने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत होती है जबकि ऑप्शन आएंगे आप कम पैसे से ही स्टार्ट कर सकते हैं।

लेकिन सच तो यह है कि 90% ऑप्शन बायर्स पैसा गंवाते हैं जबकि अधिकतर ऑप्शन सेलर्स पैसा कमाते हैं।

लेकिन ऑप्शन सेल करने के लिए आपको काफी चीजें सीखने पड़ते हैं और बहुत सारा अनुभव प्राप्त करना होता है केवल तभी आपको ऑप्शन सेलिंग में success पा सकते हैं।

इसलिए आज मैं आपको ऑप्शन सेलिंग के बारे में सब कुछ विस्तार से बताने वाला हूं जैसे-

  • ऑप्शन सेलिंग क्या होती है,
  • ऑप्शन सेलिंग कैसे करते हैं,
  • ऑप्शन सेलिंग काम कैसे करती है,
  • ऑप्शन सेलिंग के फायदे और नुकसान क्या है,
  • और ऑप्शन्स को sell करके पैसे कैसे कमाते हैं?

अगर आप option selling में beginner हैं और आपने पहले कभी ऑप्शन सेलिंग नहीं किया है और आप इसे basic से advance तक आसान भाषा में समझना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना.

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

ऑप्शन सेलिंग क्या है – What is Option Selling in Hindi

ऑप्शन सेलिंग का अर्थ होता है ऑप्शंस (कॉल और पुट) को बेचना या राइट करना. Option selling को ऑप्शन राइटिंग (option writing) भी कहा जाता है। शेयर मार्केट में ऑप्शन को राइट करना ऑप्शन सेलर्स का काम होता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में जो कॉल और पुट ऑप्शंस आप खरीदते हैं वह ऑप्शन सेलर्स के द्वारा ही बेचे जाते हैं। ऑप्शंस को बेचने वाले को फायदा उस समय ज्यादा होता है जब ऑप्शंस की कीमत ज्यादा ऊपर नीचे नहीं होती है.

मतलब जब ऑप्शन अपने पिछले प्राइस के आसपास ही ट्रेड करता रहता है तो ऑप्शन सेलर को फायदा होता है.

अब ऐसा क्यों होता है इसे समझने के लिए आपको Time decay का कांसेप्ट समझना पड़ेगा.

जी हां, time decay का मतलब होता है समय का बीतना. इसे कुछ इस प्रकार समझते हैं–

ऑप्शन सेलिंग का उदाहरण (Example of Option Selling in Hindi)

मान लीजिए कोई ऑप्शन बायर है जिसने बैंकनिफ्टी का एक कॉल ऑप्शन 200 रुपये में खरीदा है.

इसका मतलब है कि किसी ऑप्शन से इसी कॉल ऑप्शन को 200 रुपये में बेचा होगा तभी इसने खरीदा है.

अब अगर कुछ समय बाद बैंक निफ्टी ऊपर जाता है जिससे उस ऑप्शन की प्रीमियम की कीमत बढ़ जाती है यानी मान लो 200 से बढ़कर 250 रुपये हो जाती है तो ऐसे में ऑप्शन बायर को 50 रुपये का प्रॉफिट होगा.

लेकिन अगर इसी कॉल ऑप्शन की कीमत 200 से घटकर 150 रुपये हो जाती है तो ऐसे में ऑप्शन बायर को 50 रुपये का नुकसान होगा और ऑप्शन सेलर को 50 रुपये प्रॉफिट होगा।

मतलब एक ऑप्शन बायर ऑप्शन का प्राइस बढ़ने पर शर्त लगाता है जबकि ऑप्शन सेलर ऑप्शन का प्राइस घटने पर शर्त लगाता है।

लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि ऑप्शन की कीमत ना तो घटती है और ना ही बढ़ती है मतलब एक ही रेंज में कोई कॉल या पुट ऑप्शन ट्रेड करता रहता है. तो ऐसी स्थिति में फायदा हमेशा ऑप्शन सेलर्स को ही होता है।

इसलिए हर ऑप्शन सेलर यही चाहता है कि ऑप्शन की कीमत में ज्यादा मूवमेंट ना हो. क्योंकि एक बार ऑप्शन बेचने के बाद समय बीतने के साथ-साथ उस ऑप्शन की कीमत घटती जाती है जिससे ऑप्शन बायर को नुकसान होता है जबकि ऑप्शन सेलर को फायदा.

लेकिन याद रखिए– कुछ cases ऐसे होते हैं जब मार्केट में कोई पॉजिटिव न्यूज़ आने पर ऑप्शन की कीमत अचानक से बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो उस सिचुएशन में option seller को नुकसान भुगतना पड़ता है।

ऑप्शन सेलिंग में थीटा क्या होता है?

ऊपर हमने time decay की बात की है, तो टाइम डीके का अर्थ ही होता है थीटा. इसका मतलब है कि जैसे-जैसे टाइम बीतता जाता है थीटा के कारण options के प्राइस भी कम होते जाते हैं जिससे ऑप्शन सेलर को फायदा होता है जबकि ऑप्शन बायर को नुकसान.

थीटा के बारे में विस्तार में जानने के लिए आपको यह पोस्ट जरूर पढ़ना चाहिए– ऑप्शन ग्रीक्स क्या हैं और डेल्टा गामा थीटा बेगा क्या होते हैं?

Option Selling for beginners in hindi

अगर आप ऑप्शन सेलिंग में एक beginner है तो आपको बता दें कि ऑप्शन सेलिंग नए लोगों के लिए बहुत रिस्की होती है. बेशक इसमें फायदा बहुत ज्यादा है अगर आप अच्छे से ऑप्शन सेलिंग करना सीख जाते हैं.

लेकिन जब आप नए होते हैं तो उसमें जोखिम भी उतना ही अधिक होता है।

मैं आपको सलाह दूंगा कि आपको beginners के तौर पर इंट्राडे में ऑप्शन सेलिंग करनी चाहिए मतलब उसी दिन ऑप्शन को बेचकर प्रॉफिट बाहर निकाल लेना चाहिए।

क्योंकि जब तक आपको ज्यादा अनुभव नहीं है तब तक आपको ओवरनाइट बाजार में कब कहां क्या हो जाएगा इसके बारे में कुछ पता नहीं होता है और इससे ऑप्शंस की प्राइस किस प्रकार प्रभावित हो सकते हैं इसके बारे में भी आपको ज्यादा आईडिया नहीं होता.

इसलिए मैं आपको यही सलाह दूंगा कि नए ऑप्शन विक्रेता के रूप में आपको हमेशा इंट्राडे ऑप्शन सेलिंग से शुरुआत करनी चाहिए।

इसके अलावा आपको ऑप्शन सेलिंग करते वक्त हमेशा स्टॉप लॉस का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इससे आप अपने नुकसान को लिमिट कर सकते हैं।

और अगर आप एक beginner हैं तब तो आपके लिए ऑप्शन ट्रेड करते समय stop-loss लगाना compulsory है क्योंकि अगर आप स्टॉप लॉस नहीं लगाते हैं तो आपके नुकसान होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

इसलिए चाहे आप option buying करें या selling आपको stop loss order जरूर लगाना चाहिए।

अब तक आपने जाना की ऑप्शन सेलिंग क्या होती है चलिए अब समझते हैं कि–

ऑप्शन सेलिंग कैसे काम करती है (How Option Selling works in Hindi)

ऑप्शन सेलिंग ऑप्शंस के प्रीमियम की प्राइस बढ़ने या घटने के आधार पर काम करती है। जब मार्केट में निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट होती है तो कॉल ऑप्शन के दाम गिरने लगते हैं और पुट ऑप्शन के दाम बढ़ने लगते हैं.

इसी तरह जब बाजार में उछाल आता है यानी निफ्टी और सेंसेक्स ऊपर जाते है तो कॉल ऑप्शन के दाम बढ़ने लगते हैं और पुट ऑप्शन के दाम गिरने लगते हैं.

ऑप्शन सेलिंग कैसे करते हैं (How to do Option Selling in Hindi)

Option selling kaise kre, option writing kya hai in hindi

ऑप्शन सेलिंग करने के लिए आपको एक निश्चित तारीख पर किसी स्ट्राइक प्राइस के कॉल या पुट ऑप्शन को बेचना पड़ता है। अगर आपने पुट ऑप्शन बेचा है तो मार्केट बढ़ने पर आपको प्रॉफिट होगा और अगर आपने कॉल ऑप्शन बेचा है तो आपको मार्केट गिरने पर प्रॉफिट होगा।

कॉल और पुट ऑप्शन कब बेचना चाहिए?

When should you sell call or put options in hindi: अब सवाल आता है कि हमें कॉल ऑप्शन कब बेचना चाहिए और पुट ऑप्शन कब बेचना चाहिए? क्योंकि अगर आप ऑप्शंस को सही समय पर नहीं बेचते हैं तो आपको loss भी हो सकता है इसीलिए options को sell करने की timing के बारे में जानना बहुत जरूरी है।

आपको पता होगा कि जिस तरह ऑप्शन खरीदने पर आपको ऑप्शंस के प्राइस बढ़ने से प्रॉफिट होता है उसी तरह ऑप्शंस बेचने पर आपको ऑप्शंस के प्राइस गिरने पर फायदा होता है.

कॉल ऑप्शन कब बेचना चाहिए?

आपको कॉल ऑप्शन तब बेचना चाहिए जब मार्केट नीचे जा रहा हो. क्योंकि जब मार्केट नीचे जाएगा तो call option के दाम गिरेंगे और जब call ऑप्शन के प्राइस नीचे गिरेंगे तो आपको प्रॉफिट होगा।

पुट ऑप्शन कब बेचना चाहिए?

आपको पुट ऑप्शन तब बेचना चाहिए जब मार्केट ऊपर जा रहा हो. क्योंकि जब मार्केट ऊपर जाएगा तो put option के दाम गिरेंगे और जब put ऑप्शन के प्राइस नीचे गिरेंगे तो आपको प्रॉफिट होगा।

तो अब आप समझ गए होंगे कि ऑप्शन सेलिंग में हमेशा प्राइस गिरने से फायदा होता है।

  • इसीलिए जब आप मार्केट पर बियरिश हों मतलब आपको बाजार गिरने की उम्मीद हो तो आपको कॉल ऑप्शंस sell करना चाहिए
  • और जब आप मार्केट पर बुलिश हों मतलब आपको बाजार के ऊपर जाने की उम्मीद हो तो आपको पुट ऑप्शंस बेचना चाहिए।

आपको बता दें कि ऑप्शन सेलर्स सबसे ज्यादा पैसा तब कमाते हैं जब मार्केट क्रैश होता है या फिर ग्लोबली कोई बड़ा नेगेटिव इवेंट होता है जैसे; रूस यूक्रेन युद्ध, क्रूड ऑयल संकट आदि.

क्योंकि मार्केट में गिरावट के वक्त लोग पैनिक सेलिंग करते हैं जिसकी वजह से मार्केट में बहुत तेजी से बिकवाली होने लगती है जिसकी बचाए से कॉल ऑप्शन की कीमतें से बहुत तेजी से गिरने लगती हैं जिससे call option बेचने वाले को profit होता है।

Note: अगर आप ऑप्शन सेलिंग से पैसा कमाना चाहते हैं तो आपको ग्लोबल बाजारों पर भी नजर रखना होगा और मार्केट की न्यूज़ से अपडेट रहना होगा ताकि अगर बाजार में ऐसी कोई बड़ी घटना होती है तो आप उसका फायदा उठा सकें।

उम्मीद करता हूं अब आप समझ गए होंगे कि अगर मार्केट का ट्रेंड ऊपर की ओर है यानी मार्केट ऊपर जा रहा है तो आपको पुट ऑप्शन बेचना चाहिए और जब मार्केट का ट्रेंड नीचे की ओर है तो आपको कॉल ऑप्शन बेचना चाहिए।

ऑप्शन सेलिंग से पैसे कैसे कमाए (How to make money by Option Selling in Hindi)

Make money with Option writing in hindi

ऑप्शन सेलिंग से पैसा कमाने के लिए आपको मार्केट मूवमेंट और प्राइस एक्शन के बारे में जानना होगा। इसके अलावा आपको टेक्निकल एनालिसिस, कैंडलस्टिक पेटर्न, इंडिकेटर, चार्ट पैटर्न एनालिसिस और मूविंग एवरेज की जानकारी भी होनी चाहिए।

  • ऑप्शन लिखने वाले लोगों को तभी पैसा मिलता है, जब कोई दूसरा व्यक्ति उनसे ऑप्शन खरीदता है।
  • ऑप्शन खरीदने वाले व्यक्ति को ऑप्शन राइटर को amount का भुगतान करना होता है।
  • इसी भुगतान की गई राशि को प्रीमियम कहते हैं और इसी प्रीमियम के बदले में ऑप्शन राइटर यानी option seller को पैसा मिलता है।

ऑप्शन सेलिंग से पैसा आप तभी कमा सकते हैं जब आपके पास इन्वेस्ट करने के लिए मिनिमम यानी कम से कम 1 या 2 लाख होना चाहिए.

आपको बता दें कि ऑप्शन ट्रेडिंग में option selling ज्यादातर प्रोफेशनल ट्रेडर्स ही करते हैं और उनके लिए इतना पैसा लगाना आम बात होती है।

तो जब आपके पास एक या दो लाख रुपये का कैपिटल है तो आप ऑप्शन राइटिंग यानी ऑप्शन सेलिंग करने के लिए तैयार हैं।

अब आपको केवल मार्केट कंडीशन के आधार पर अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनानी है और उसी के आधार पर कॉल या पुट ऑप्शंस को बेचना है। जब आप लगातार प्रैक्टिस करते जाएंगे तो आपको इसमें महारथ हासिल होती जाएगी और फिर आप अलग-अलग strategies का इस्तेमाल करके आप ऑप्शन सेलिंग में अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।

ऑप्शन राइटर पैसा क्यों कमाते हैं?

Why option writers make money– ऑप्शन राइटर ऑप्शन बायर से ज्यादा पैसा कमाता है क्योंकि उसके पास एक एडवांटेज होता है – ऑप्शन बायर की तुलना में वो अपने रिस्क को कंट्रोल कर सकता है।

मतलब ऑप्शन राइटर एक ऑप्शन सेल करके अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने का अधिकार देता है. अगर अंडरलाइंग एसेट की कीमत ऑप्शन बायर के अधिकार के आधार बढ़ती है, तो ऑप्शन राइटर को उसके लिए कीमत बढ़ाने से रोक नहीं है।

इसलिए, ऑप्शन राइटर को अपना रिस्क को कंट्रोल करने की कीमत से ऑप्शन बायर से अधिक पैसा कमाने का मौका मिलता है।

आसान शब्दों में कहें तो–

जब कोई व्यक्ति ऑप्शन लिखता है (ऑप्शन राइटर), तो वो दूसरे व्यक्ति (ऑप्शन बायर) को एक अधिकार देता है कि वह एक निश्चित समय तक या निश्चित कीमत पर एक स्टॉक या अन्य अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने का अधिकार रखे।

और जब ऑप्शन बायर को यह अधिकार मिलता है, तो वो यह फैसला ले सकता है कि वह अंडरलाइंग एसेट को खरीदे या ना खरीदे।

वह ऐसा भी कर सकता है कि वह हमें एसेट को निश्चित कीमत पर बेचे या ना बेचे। लेकिन ऑप्शन राइटर के पास ऐसा अधिकार नहीं होता, वो सिर्फ यह अधिकार देता है, लेकिन खुद को कोई अधिकार नहीं देता।

इसलिए ऑप्शन राइटर के लिए रिस्क कम होता है और ऑप्शन बायर का रिस्क ज्यादा होता है, इसी वजह से ऑप्शन राइटर को ऑप्शन बायर की तुलना में ज्यादा पैसे कमाने का मौका मिलता है।

ऑप्शन सेलिंग के नियम (Rules of Option Selling in Hindi)

ऑप्शन सेलिंग करने वाले प्रत्येक ट्रेडर को नीचे दिए गए कुछ नियम का पालन करना बहुत जरूरी है। यहां कुछ ऐसे नियम है जो ऑप्शन सेलिंग करते समय आपको ध्यान में रखने चाहिए:

  1. Risk Management: ऑप्शन बेचने से पहले, रिस्क मैनेजमेंट का एक सही प्लान तैयार करना जरूरी है। आपको अपने निवेश के लिए एक बजट तय करना चाहिए और उसके अनुसार ही अपने ट्रेडों को सेट करना चाहिए।
  2. लिक्विडिटी चेक: ऑप्शंस को सेल करने से पहले, उस ऑप्शन की लिक्विडिटी चेक करना बहुत जरूरी है। जब आप एक ऑप्शन सेल करते हैं, तो वह liquid ऑप्शन होना चाहिए मतलब उसमें ट्रेडिंग करने वाले लोगों की संख्या अधिक होनी चाहिए। इसलिए, एक इलिक्विड ऑप्शन को सेल करने से बचे। इसके लिए सबसे बेस्ट रहेगा कि आप बैंकनिफ्टी या निफ्टी में ही option selling करें क्योंकि इन में भरपूर लिक्विडिटी होती है।
  3. Margin requirements: ऑप्शन बेचने में मार्जिन की आवश्यकता बहुत अधिक होती है। आपको पहले मार्जिन रिक्वायरमेंट के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि आप अपने ट्रेड को ठीक से मैनेज कर सकें।
  4. वोलैटिलिटी चेक: ऑप्शन सेलिंग में, अंडरलाइंग एसेट के वोलैटिलिटी लेवल को चेक करना बहुत जरूरी है। अगर आप beginner हैं तो हाई वोलैटिलिटी वाले स्टॉक्स में ऑप्शन सेलिंग करने से बचे।
  5. स्टॉप लॉस: ऑप्शन सेलिंग में स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाना बहुत जरूरी है। अगर बाजार आपके ट्रेड के विपरीत जाता है तो स्टॉप लॉस आपके ट्रेड को ऑटोमैटिक तौर पर क्लोज कर देता है इसलिए स्टॉप लॉस लगाना कभी भी ना भूले।
  6. टाइम मैनेजमेंट: ऑप्शन सेलिंग में टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। ऑप्शन का टाइम वैल्यू decay होता है, इसे आपको एक्सपायरी डेट के पास होने से पहले अपने ट्रेड को मैनेज करना होगा।
  7. फंडामेंटल एनालिसिस: ऑप्शन सेलिंग में, अंडरलाइंग एसेट का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी है। आपको अंडरलाइंग स्टॉक के फंडामेंटल्स जैसे कि फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स, मैनेजमेंट क्वालिटी, मार्केट शेयर, कॉम्पिटिटिव एडवांटेज आदि के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
  8. टेक्निकल एनालिसिस: टेक्निकल एनालिसिस भी ऑप्शन सेलिंग में बहुत जरूरी है। आपको चार्ट पैटर्न, तकनीकी संकेतक, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल आदि के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
  9. डायवर्सिफिकेशन: ऑप्शन सेलिंग में डायवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। एक ही स्टॉक पर बहुत सारे ट्रेड करना रिस्क को बढ़ा देता है। इसलिए अपने ट्रेडों को डायवर्सिफाई करें और अपने पोर्टफोलियो में मल्टीपल स्टॉक्स के ऑप्शन सेल करें।
  10. Patience: ऑप्शन बेचने में सब्र रखना बहुत जरूरी है। कभी भी जल्दी-बाजी ना करें और सब्र से अपने ट्रेड को मैनेज करें। इससे आपके ट्रेड्स में आने वाले वोलैटिलिटी से बचने में मदद मिलेगी।

उम्मीद करता हूं ऑप्शन सेलिंग करते समय आप ऊपर दिए गए सभी नियमों को फॉलो करेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि निश्चित ही आप एक सफल ऑप्शन सेलर बन पाएंगे।

ऑप्शन सेलिंग के फायदे और नुकसान

वैसे तो ऑप्शन सेलिंग के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं जो आपको पता होना बहुत जरूरी है। इसीलिए हमने नीचे आपको ऑप्शन सेलिंग के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बताया है चलिए अब इनके बारे में जान लेते हैं–

ऑप्शन सेलिंग के फायदे (Advantages of option selling in hindi)

ऑप्शन सेलिंग के कई फायदे है इनमें से कुछ मुख्य फायदे है जैसे–

  • लाभ की उच्च संभावना: विकल्प (options) बेचने में, लाभ की संभावना बहुत अधिक होती है। आपके ट्रेड का सक्सेस रेट आपके ऑप्शन सेलिंग स्ट्रैटेजी, रिस्क मैनेजमेंट और फंडामेंटल एनालिसिस के ऊपर निर्भर करता है।
  • इनकम जनरेशन: ऑप्शन सेलिंग से आप रेगुलर इनकम जेनरेट कर सकते हैं। जब आप एक ऑप्शन सेल करते हैं, तो उससे प्रीमियम मिलता है, जिससे आप इनकम जेनरेट कर सकते हैं।
  • समय का क्षय: समय का क्षय यानी time decay ऑप्शन बेचने का एक बहुत बड़ा फायदा है। ऑप्शन का टाइम वैल्यू क्षय होता है, इसलिए अगर बाजार मूल्य स्थिर रहता है, तो ऑप्शन विक्रेता के लिए यह बहुत अच्छा होता है।
  • कम जोखिम: ऑप्शन बेचना, कम जोखिम वाला ट्रेडिंग रणनीति होता है। ऑप्शन राइटर का रिस्क लिमिट होता है और वो सिर्फ प्रीमियम को खोने का रिस्क उठाना है, जिसकी वैल्यू लिमिट से प्रतिबंधित होती है।
  • Flexibility: ऑप्शन सेलिंग आपको ट्रेडिंग फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है। आप अपनी ऑप्शन सेलिंग स्ट्रैटेजी को अपने रिस्क टॉलरेंस और फाइनेंशियल गोल्स के हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं।
  • पोर्टफोलियो हेजिंग: ऑप्शन सेलिंग पोर्टफोलियो हेजिंग का एक अच्छा तरीका है। आप अपने पोर्टफोलियो को डाउनसाइड रिस्क से बचाने के लिए पुट ऑप्शंस सेल कर सकते हैं।
  • न्यूट्रल मार्केट ट्रेडिंग: ऑप्शन सेलिंग आपको न्यूट्रल मार्केट कंडीशन में ट्रेडिंग करने की अनुमान देता है मतलब क्या बाजार एक ही रेंज में घूमता रहता है उस समय ऑप्शन सेलिंग से आप अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। मतलब आपके ट्रेड्स उस समय प्रॉफिट में रहते हैं जब बाजार स्थिर रहता है।
  • Sideways market में सफलता की अधिक संभावना: ऑप्शन सेलिंग में आपके लिए साइडवेज मार्केट में सफलता की अधिक संभावना है। जब मार्केट प्राइस रेंज बाउंड रहता है, तो ऑप्शन राइटर के ट्रेड प्रॉफिटेबल रहते हैं।
  • मापनीयता: ऑप्शन बेचना आपको स्केलेबल ट्रेडिंग का एक अच्छा ऑप्शन देता है। आप अपने ट्रेड्स को स्केल अप या स्केल डाउन कर सकते हैं, और अपने फाइनेंशियल गोल्स के हिसाब से अपनी ट्रेडिंग एक्टिविटी को बढ़ा सकते हैं।

ऑप्शन सेलिंग के नुकसान (Disadvantages of option selling in hindi)

ऑप्शन सेलिंग के कुछ नुकसान यहां पर बताए गए हैं जैसे–

  • अनलिमिटेड लॉस: ऑप्शन सेलिंग के नुकसान में सबसे बड़ा नुक्सान है कि आपका लॉस अनलिमिटेड हो सकता है। जब आप एक ऑप्शन सेल करते हैं, तो आपकी पोटेंशियल लॉस अनलिमिटेड होती है, जबकि आपकी पोटेंशियल प्रॉफिट लिमिटेड होती है।
  • हाई मार्जिन रिक्वायरमेंट: ऑप्शन सेलिंग में, मार्जिन रिक्वायरमेंट हाई होता है, क्योंकि आपकी पोटेंशियल लॉस अनलिमिटेड होते हैं। इसलिए, ऑप्शन sell करने के लिए, High capital की आवश्यकता होती है।
  • मार्केट रिस्क: ऑप्शन सेलिंग में मार्केट रिस्क बहुत हाई होता है। बाजार में उतार-चढ़ाव और अचानक घटनाएं, आपके ट्रेड के लिए बहुत जोखिम पैदा कर सकते हैं।
  • समय की कमी: ऑप्शन बेचने में, समय की कमी होती है। ऑप्शन का टाइम वैल्यू क्षय होता है, जिससे आपके ट्रेड को टाइम-बाउंड रहना होता है। इससे बचने के लिए आपको अपने ट्रेडों को समयबद्ध प्रबंधन करना होगा।
  • इमोशनली ड्रेनिंग: ऑप्शन सेलिंग ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी इमोशनली ड्रेनिंग होती है, क्योंकि आपके ट्रेड्स को मैनेज करना बहुत क्रिटिकल होता है। आपको अपने ट्रेड पर निरंतर सतर्कता रखना होगा।
  • फंडामेंटल एनालिसिस: ऑप्शन सेलिंग स्ट्रैटेजी में, अंडरलाइंग एसेट का फंडामेंटल एनालिसिस बहुत महत्वपूर्ण होती है। अगर आपका फंडामेंटल एनालिसिस गलत हो गया, तो आपका ट्रेड लॉस में कन्वर्ट हो सकता है।
  • टेक्निकल एनालिसिस: तकनीकी विश्लेषण भी विकल्प बेचने में बहुत महत्वपूर्ण होती है। आपको चार्ट, तकनीकी संकेतक, सपोर्ट रेजिस्टेंस लेवल आदि का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।
  • डायवर्सिफिकेशन: ऑप्शन सेलिंग में डायवर्सिफिकेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर आप एक ही स्टॉक या एक ही सेक्टर में ट्रेड करते हैं, तो आपको बहुत रिस्क हो सकता है।
  • धैर्य: ऑप्शन बेचने की रणनीति में धैर्य रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको अपने ट्रेड्स को टाइम बाउंड मैनेज करना होगा और सब्र से ट्रेड्स को हैंडल करना होगा।
  • जटिलता: ऑप्शन बेचने की ट्रेडिंग रणनीति जटिल होती है। आपको ऑप्शन का मूल्य, वोलैटिलिटी, अंडरलाइंग एसेट की फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस, रिस्क मैनेजमेंट, और ट्रेड मैनेजमेंट के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

FAQ’s About Option Selling in Hindi

क्या ऑप्शन सेलिंग प्रॉफिटेबल है?

ऑप्शन सेलिंग उन लोगों के लिए प्रॉफिटेबल है जो मार्केट कंडीशन को ध्यान से समझकर और टेक्निकल एनालिसिस के द्वारा कॉल और पुट ऑप्शंस को बेचते हैं। ऑप्शन्स को बेचकर आप केवल तभी प्रॉफिट कमा सकते हैं जब आपकी प्रिडिक्शन के अनुसार अक्षांश की कीमतों में उतार-चढ़ाव होते हैं।

ऑप्शन सेलिंग में कितना पैसा लगता है?

ऑप्शन सेलिंग में कम से कम 1 से 2 लाख रुपये लगता है। लेकिन यह कोई निश्चित राशि नहीं है मतलब ऑप्शन बेचने के लिए कितना पैसा चाहिए यह मार्केट वोलैटिलिटी और मार्जिन रिक्वायरमेंट पर निर्भर करता है।

ऑप्शन कौन लिख सकता है?

ऑप्शन लिखने का अधिकार हर उस व्यक्ति को होता है, जिसके पास ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ट्रेडिंग अकाउंट खुला हुआ है। इसके लिए ब्रोकर के जरिये मार्जिन अकाउंट खुलवाना पड़ता है। मार्जिन अकाउंट खुलवाने के लिए ब्रोकर मार्जिन रिक्वायरमेंट्स के हिसाब से डिपॉजिट मांगता है। ऑप्शन राइटिंग के लिए, bid/ask के द्वारा ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पार ऑर्डर प्लेस करके प्रीमियम कलेक्ट किए जा सकते हैं।

ऑप्शन सेलर्स कितना कमाते हैं?

वैसे तो अमाउंट पूछा जाए तो 1 से 2 लाख रुपये ऑप्शन सेलर आसानी से कमा लेता है। लेकिन ऑप्शन सेलर्स कितना पैसा कमाते हैं यह ऑप्शन के टाइप, स्ट्राइक प्राइस, अंडरलाइंग एसेट की वोलैटिलिटी, और बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।

ऑप्शन विक्रेता प्रीमियम वसूल करते हैं, जिसकी राशि स्ट्राइक मूल्य और बाजार की स्थिति के हिसाब से तय होता है। ऑप्शन सेलर प्रॉफिट तब भी कमाता है, जब ऑप्शन बायर ऑप्शन एक्सरसाइज नहीं करता है और ऑप्शन एक्सपायर हो जाता है।

क्या ऑप्शन बेचने वाले हमेशा पैसा कमाते हैं?

जी नहीं ऑप्शन बेचने वाले हमेशा पैसा नहीं कमाते हैं जब मार्केट में उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा होता है तो उस समय ऑप्शन बेचने वाले लोगों को नुकसान भी होता है।

क्या ऑप्शन सेलिंग खरीदने से बेहतर है?

अगर शार्ट में कहें तो हां ऑप्शन सेकेंड ऑप्शन खरीदने से बेहतर है लेकिन तब जब आप इसके सभी रिस्क को अच्छी तरह से समझते हैं। लेकिन ऑप्शन बेचना और ऑप्शन खरीदना दोनों अलग-अलग ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी है और दोनो अपने अपने फायदे और नुकसान हैं।

ऑप्शन बेचने में प्रीमियम कलेक्ट करके प्रॉफिट कमाया जाता है, लेकिन इसके साथ रिस्क भी होता है। सही रणनीति और जोखिम प्रबंधन के साथ दोनो ट्रेडिंग रणनीतियों से मौका उठाया जा सकता है।

Option Selling kya hai in Hindi ‘Conclusion’

ऑप्शन सेलिंग एक पॉपुलर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है जो अनुभवी ट्रेडर्स के द्वारा उपयोग की जाती है। इसमें ऑप्शन सेलर अपने रिस्क मैनेजमेंट और ट्रेडिंग प्लान को समझकर ऑप्शन बायर के लिए एक ऑप्शन लिखता है और इसके बदले में प्रीमियम कलेक्ट करता है।

ये स्ट्रैटेजी मार्केट वोलैटिलिटी के साथ काम करता है, जिसके वजह से ऑप्शन सेलर को पोटेंशियल प्रॉफिट और रिस्क के साथ डील करना पड़ता है। ऑप्शन बेचने के फायदे और नुकसान होते हैं, और ये स्ट्रैटेजी सिर्फ अनुभवी ट्रेडर्स के लिए अच्छा होता है।

अगर आप ऑप्शन सेलिंग करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको इसके सारे नुकसान और फायदे के बारे में जानकारी होनी चाहिए। संभावनाओं के साथ-साथ जोखिमों को भी ध्यान में रखते हुए आप ऑप्शन सेलिंग का फायदा उठा सकते हैं।

इस पोस्ट (Option selling in hindi) में मैंने आपको बताया है कि ऑप्शन सेलिंग क्या है, ऑप्शन सेलिंग कैसे करते हैं, यह कैसे काम करती है, ऑप्शन सेलिंग से पैसे कैसे कमाए और इसके फायदे और नुकसान क्या-क्या है?

मैं उम्मीद करता हूं अब आपको ऑप्शन सेलिंग के बारे में पूरी बेसिक जानकारी हो चुकी होगी। अगर आपका option selling kya hai इससे जुड़ा हुआ कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछें।

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